Saturday, July 27, 2024
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सांसद ने पीएम मोदी को खत लिखकर बताया दो जरुरतमदों का दर्द

SI News Today

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक सांसद की अपील सुनते हुए दो मरीजों के इलाज के लिए वित्तीय मदद प्रदान की है। उत्तर प्रदेश के धरौहरा संसदीय सीट से सांसद रेखा अरुण वर्मा द्वारा दो मरीजों के लिए वित्तीय मदद की मांग करते हुए पीएम मोदी को चिट्ठी लिखी गई थी। पीएम मोदी ने सांसद की मांग और मरीजों के इलाज के हाथ आगे बढ़ाते हुए वित्तीय मदद की पेशकश की है। लखीमपुर खीरी और सीतापुर जिले के दोनों मरीजों को प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) की ओर से तीन लाख रुपए की मदद दी गई। यह मदद प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष के तहत दी गई है। बातचीत में सांसद वर्मा ने कहा, “मैं वाकई में खुश हूं कि प्रधानमंत्री ने मेरी प्रार्थना स्वीकार की और दोनों लोगों के इलाज के लिए पैसे स्वीकृत किए। मैं सिर्फ अपने कर्तव्य पूरा कर रहा था और लोगों के अनुरोधों को पीएम तक पहुंचा रहा था।”

रिपोर्ट के मुताबिक लखीमपुर खीरी के अलिदासपुर गांव में रहने वाले 43 साल के सोम कुमार श्रीवास्तव कैंसर की समस्या से पीड़िता थे और मई महीने में उन्होंने सांसद रेखा अरुण वर्मा के समक्ष अपनी दिक्कतें बताते हुए इलाज के लिए वित्तीय मदद की गुहार लगाई थी। जिसके बाद सांसद ने इस संवाकबंध में पीएमओ को खत लिखकर मदद की मंग की गई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सोम के इलाज के लिए राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर नई दिल्ली को तीन लाख रुपए मरीज के इलाज के लिए भेजे गए थे। इसी तरह सीतापुर जिले के हरगाव में रहने वाले प्रदीप जायसवाल ने गुर्दे फेल होने के बाद किडनी ट्रांसप्लांट कराने के लिए वित्तीय मदद की गुहार लगाई थी। उन्हें अपील को सुनते हुए पीएमओ की ओर से वित्तीय मदद प्रदान की गई है। जायसवाल का इलाज दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में होना है।

बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब किसी ने पीएम मोदी से गुहार लगाई गई हो और उसे समय पर मदद प्रदान की गई हो। इस साल मार्च महीने में कानपुर के दो बच्‍चों ने पिता की बीमारी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आर्थिक मदद के लिए खत लिखा था। इस पर पीएम ऑफिस ने कार्रवाई करते हुए निशुल्‍क इलाज का निर्देश दिया था। सरोज मिश्रा कानपुर के संजय गांधी नगर में रहते हैं। वे एक्‍युट अस्‍थमा से पीडि़त थे। इसके चलते छह महीने से काम पर भी नहीं जा पा रहे थे। इसके चलते बच्‍चों का स्‍कूल छूट गया और मकान का किराया भी कई महीनों से बकाया चल रहा था।

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