Saturday, April 27, 2024
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मऊ जिले में खाद्यान्न घोटाले की आशंका

SI News Today

Due to food grains scam in Mau district.

     

मऊ।

श्री  द्वारा बीते दिनों गोण्डा एवं फतेहपुर जिलाधिकारी समेत 11 अधिकारियों के खाद्यान्न विभाग में लापरवाही के कारण हुए निलंबन के उपरांत मऊ जिले में भी खाद्यापूर्ती विभाग में कई अनियमितताएं प्रकाश में आई हैं। एक तरफ जहां मुख्यमंत्री द्वारा जिलाधिकारियों के निलंबन से पूरे प्रदेश के अधिकारियों को यह संदेश दिया गया कि, किसी भी प्रकार की लापरवाही व मनमानी नज़रअंदाज़ नही की जाएगी, वहीं दूसरी ओर मऊ जिले के खाद्यान्न विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों पर मुख्यमंत्री द्वारा की गई कड़ी कार्यवाही का कोई भी असर पड़ता नही दिख रहा हैं। एक तरफ जहां वर्तमान जिलापूर्ति अधिकारी अखबारों में अपनी तारीफ की खबरों से खुद को साफ छवि का प्रस्तुत कर रहे, वहीं अपने विभाग में हो रही धांधली पर आंख मूँदकर, हो रहे भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का कार्य कर रहे हैं।

विशेष सूत्रों द्वारा बताये जाने पर यह ज्ञात होता है कि विभाग में राशन और तेल के उठान को लेकर कोटेदारों से बड़े पैमाने पर वसूली की जाती है और जो कोटेदार पैसे देने से मना करता है उसके तेल और राशन में बिना किसी सूचना के कटौती कर उसको ब्लैक कर लिया जाता है। हमारे सूत्रों ने हमें यह भी बताया कि विभाग में वसूली का सारा खेल वहां कार्यरत किसी प्राइवेट कर्मचारी और चपरासी नारायण यादव द्वारा किया जाता है और नारायण यादव पिछले कई सालों से जिलापूर्ति अधिकारियों का हिमायती बन कर भ्रष्टाचार का खेल खेल रहा है। इस प्रकरण में जिलापूर्ति अधिकारी से फोन द्वारा बात करने पर उस प्राइवेट कर्मचारी को किसी कार्यदायी संस्था द्वारा नियुक्त किया गया कम्प्यूटर ऑपरेटर बताया जाता है। नाम न बताये जाने की शर्त पर जिले के कुछ कोटेदारों ने यह बताया कि विभाग में तेल एवं खाद्यान्न के उठान से लेकर कार्ड संशोधन तक के लिए हर कर्मचारी से अधिकारी तक का एक सुविधा शुल्क निर्धारित है। जिसकी वसूली इन दो भ्रष्ट कर्मचारियों द्वारा कराई जाती है। इस भ्रष्टाचार की शिकायत स्थानीय भाजपा सभासद दिनेश कुमार सिंह वार्ड नम्बर 6 द्वारा प्रमुख सचिव,खाद्य तथा रसद विभाग,उ०प्र०शासन,एवं आयुक्त,खाद्य तथा रसद विभाग,उ०प्र० जवाहर भवन,लखनऊ से की गई है। जिसमे उन्होंने क्षेत्रीय खाद्य अधिकारी मनोज कुमार सिंह, पूर्ति निरीक्षक हर्षिता राय, एवं लिपिक धीरज कुमार अग्रवाल द्वारा किये जा रहे भ्रष्टाचार की जांच मांग की है। विभाग ने जांच पार्थ अच्युत,उपायुक्त(खाद्य) वाराणसी मण्डल, वाराणसी, को सौंप कर जांच कराने का आश्वासन दे कर प्रकरण को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। हमारे द्वारा जिलापूर्ति अधिकारी से इस शिकायतपत्र के बारे में जानकारी लेने पर उनके द्वारा उल्टा शिकायतकर्ता को फंसाने की बात कही गयी।

उत्तर प्रदेश में सस्ते गल्ले की दुकान यानी कोटा गरीबों के भूख का एक मात्र सहारा है लेकिन खाद्यापूर्ती विभाग में अपनी पैठ जमाये ऐसे भ्रष्टाचारियों और अधिकारियों की मिलीभगत से गरीबों का निवाला छीन लिया जाना इस उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गरीबों और मज़लूमों के लिए बनाई जा रही नीतियों की घोर असफलता का एक बड़ा कारक है। अभी तक समाज से सीधा सरोकार होने के कारण कोटेदारों की भूमिका हमेशा विलेन की रही है। खाद्यान्न संबधित गड़बड़ियों के लिए सदैव कोटेदारों को ही दंडित करके विभाग अपनी खानापूर्ति करता हुआ देखा जाता है। लेकिन मऊ जिले की कहानी को हमारे द्वारा जमीनीस्तर पर पड़ताल करने पर यह पाया गया कि कहीं न कहीं कोटेदार भी अधिकारियों द्वारा पीड़ित हैं, और अधिकारी अपने पदानुसार भ्रष्टाचार की कमाई का वितरण आपस मे करते हैं। मऊ खाद्यान्न विभाग के इस काले खेल में कोटेदार एक कड़ी मात्र हैं बाकी भ्रष्टाचार की कमाई की मलाई, खाद्यान्न विभाग के कर्मचारियों से जिलास्तरीय अधिकारियों द्वारा चटकारी जाती है। अब देखना यह कि खाद्यान्न घोटाले में सख्त हुए उत्तरप्रदेश मुख्यमंत्री इस काले खेल को संज्ञान में लेते हुए भ्रष्ट कर्मचारियों पर क्या कार्यवाही करते हैं।

   

SI News Today
Pushpendra Pratap singh

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