लखनऊ.अनुसूचित जाति की छात्राओं का ड्रॉपआउट रोकने के लिए केंद्र सरकार नए यूपी में आवासीय स्कूल खोलेगी। इन स्कूलों की 70 फीसदी सीटें उन अनुसूचित जाति की छात्राओं के लिए आरक्षित होंगी, जिनकी पारिवारिक आय ढाई लाख रुपए सालाना से कम होगी। इसके अलावा बाकी 30 प्रतिशत सीटें बीपीएल कैटिगरी की दूसरी छात्राओं के लिए होंगी।
केंद्र की ओर से मुख्य सचिव को भेजा गया लेटर
– सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की सचिव जी. लता कृष्णा राव की तरफ से इस संबंध में मुख्य सचिव राहुल भटनागर के पास पत्र भेजा गया है। इसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार की इस योजना को विशेष तरजीह दी जाए और तत्काल प्रभाव से शुरू किया जाए।
– कक्षा छह से 12 तक के ये आवासीय स्कूल शैक्षिक रूप से पिछड़े हुए जिलों में खोले जाएंगे और इन्हें ऐसी जगह पर खोला जाएगा जहां अनुसूचित जाति की आबादी ज्यादा होगी। इन स्कूलों का उद्देश्य अनुसूचित जाति की छात्राओं के ड्रॉपआउट को कम करने और उन्हें कक्षा 12 तक शिक्षा मुहैया कराना है।
– ये स्कूल सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के अनुदान से चलाए जाएंगे और प्रदेश में इनका संचालन समाज कल्याण विभाग करेगा।
केंद्र देगा पैसा, प्रदेश को देनी होगी जमीन
– बता दें, इस योजना के तहत केंद्र सरकार पैसा देगी, लेकिन जमीन की व्यवस्था प्रदेश सरकार को करनी होगी। हर स्कूल 15 से 20 एकड़ में बनेंगे।
– यह जमीन प्रदेश सरकार को निशुल्क मुहैया करवानी होगी। बिल्डिंग बनने तक ये स्कूल किसी किराए के मकान में भी संचालित किए जा सकेंगे। परियोजना के मुताबिक प्रदेश सरकार ही भवन बनाने के लिए अधिकृत होगी।
– शुरुआती तीन साल तो केंद्र सरकार स्कूल चलाने के लिए फंड मुहैया करवाएगी और इसके बाद प्रदेश सरकार को खुद ही इसके इंतजाम करने होंगे। स्कूल के भवन निर्माण से लेकर शिक्षकों की तैनाती तक प्रदेश सरकार को ही करनी होगी।
ये है गाइडलाइन
– योजना के लिए स्कूल शैक्षिक रूप से पिछड़े ब्लॉकों में ही खोले जाएंगे।
– प्रदेश में अधिकतम पांच ही स्कूल खोले जाएंगे। ये पांचों स्कूल प्रदेश की अधिकतम अनुसूचित जाति वाले जिलों में खोले जाएंगे।
– हर कक्षा में 60 छात्राओं को प्रवेश दिया जाएगा, जिसमें 30-30 के दो सेक्शन होंगे।