लखनऊ: विधान सभा में विस्फोटक बरामदगी के बाद से ही सुरक्षा व्यवस्था चौकस हो गई है। आलम यह था कि परिचय पत्र न होने की वजह से सपा विधायक और पूर्व मंत्री यासर शाह को सुरक्षाकर्मियों ने पहचानने से इन्कार करते हुए विधानसभा गेट नंबर सात से वापस लौटा दिया। बाद में यासर के साथ बदसलूकी का मामला विधानसभा में गूंजा।
बजट सत्र पर चर्चा के दौरान विधान सभा में व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए सपा के राकेश प्रताप सिंह ने अध्यक्ष का ध्यान आकर्षित किया। कहा, यासर शाह दो बार के विधायक हैं और उनके पिता सदन में उपाध्यक्ष, कई बार के विधायक और मंत्री रह चुके हैं। आज यासर शाह को गेट पर रोक दिया गया जबकि वह कहते रहे कि मेरा कार्ड गायब हो गया है। यासर की गाड़ी पर गेट पास का हवाला देते हुए कहा कि भाजपा के लोग झंडा लगाकर बिना रोक टोक प्रवेश कर रहे थे लेकिन, उन्हें किसी ने नहीं रोका।
सिर्फ यासर शाह के साथ यह अभद्रता हुई। बेहतर होता कि प्रमुख सचिव को बुलाकर उनकी पहचान करा ली जाती। इस दौरान सपा के नफीस अहमद भी थे। नफीस ने कार्ड दिखाया तो उन्हें अंदर आने को मिला। राकेश का कहना था कि आप सीसीटीवी फुटेज मंगाइए। अगर तलाशी विधायक की हो सकती है तो अफसर की भी तलाशी होनी चाहिए। भाजपा के विधायक हस्तक्षेप करने लगे। इस बीच बसपा दल के लालजी वर्मा ने भी बल दिया और कहा कि अध्यक्ष जी यह गंभीर घटना है।
विधान सभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि ‘अभी आपने यह सूचित किया है। संसदीय कार्य मंत्री जानकारी हासिल करेंगे। संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि सुरक्षा व्यवस्था के लिहाज से यह चल रहा है। खन्ना ने सदन को आश्वस्त किया कि किसी सदस्य को अब कोई असुविधा नहीं होगी और न ही ऐसी घटना की पुनरावृत्ति होगी।