लखनऊ । ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है कि शरियत से जुड़े मामलों में सरकार का दखल बिल्कुल बर्दाश्त नहीं है। धार्मिक आजादी इस देश के अन्य समुदायों की ही तरह मुसलमानों का भी संवैधानिक अधिकार है। बोर्ड ने अपने इस तर्क के साथ आग्रह किया है कि पर्सनल लॉ पर अमल करने की राह में कोई रुकावट पैदा न की जाए।
बोर्ड के महासचिव मौलाना सैय्यद मोहम्मद वली रहमानी ने यह बयान शनिवार शाम लखनऊ में नदवा कालेज में शुरू हुई बोर्ड कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक के पहले सत्र को संबोधित करते हुए दिया। मौलाना रहमानी ने कहा कि यह एक गंभीर बात है कि देश में पर्सनल लॉ से संबंधित कानूनों पर कुछ इस तरह से चर्चा होने लगी है कि अब उनकी अहमियत और उनकी उपयोगिता पर सवाल खड़े किए जाने लगे हैं।
इसके चलते इस्लामी शरियत पर लोगों ने उंगली उठानी शुरू कर दी है। इन हालात में शरियत का सही मायने में सबके सामने रखने की जिम्मेदारी बोर्ड नेतृत्व की है। यह जिम्मेदारी आज के माहौल में और ज्यादा बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि बोर्ड ने एक हस्ताक्षर अभियान चलाया और पूरे देश में 4 करोड़ 43 लाख 47 हजार 596 मुसलमानों के हस्ताक्षर मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के समर्थन में प्राप्त हुए जिनमें से 2 करोड़ 73 लाख 86 हजार 934 हस्ताक्षर मुस्लिम औरतों ने किए हैं।