Friday, May 17, 2024
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नाभा जेल ब्रेक के मास्टर माइंड को छुड़ाए जाने के मामले को लेकर प्रदेश सरकार गंभीर…

SI News Today

लखनऊ: कई राज्यों में सनसनी फैला देने वाले नाभा जेल ब्रेक के मास्टर माइंड को छुड़ाए जाने के मामले को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार गंभीर है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सख्त रुख के बाद बुधवार को पूरे प्रकरण की जांच एडीजी कानून-व्यवस्था आनंद कुमार को सौंप दी गई। डीजीपी सुलखान सिंह ने निष्पक्ष जांच की हिदायत दी है। एडीजी कानून-व्यवस्था की अगुवाई में जांच समिति गठित की गई है, जिसने बुधवार को जांच शुरू कर दी। एडीजी ने पंजाब पुलिस से संपर्क कर पूरे मामले से जुड़े तथ्य व साक्ष्य मांगे हैं। पंजाब के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से संपर्क किया गया है। वहीं जांच एजेंसियों के लिए नाभा जेल ब्रेक का मास्टरमाइंड गोपी घनश्यामपुरा अब तक पहेली बना हुआ है। गोपी के पकड़े जाने व सामने आने पर पूरे मामले से जुड़े तथ्य पूरी तरह स्पष्ट हो सकते हैं। ध्यान रहे, नाभा जेल ब्रेक के मास्टरमाइंड गोपी घनश्यामपुर को उप्र में पकड़े जाने के बाद करीब 45 लाख रुपये लेकर छोड़े जाने की बात सामने आई है।

पूरे प्रकरण में आइजी स्तर के एक अधिकारी पर अंगुली उठी है। चर्चा है कि आइजी की संदिग्ध बातचीत का रिकार्ड पंजाब पुलिस के पास मौजूद है। हालांकि इस मामले में उच्चाधिकारी अभी पंजाब पुलिस की ओर से मामले को लेकर कोई रिपोर्ट दिए जाने अथवा आडियो रिकार्डिंग सौंपने की पुष्टि नहीं कर रहे हैं। पंजाब पुलिस की किसी टीम के लखनऊ आने की बात से भी इन्कार किया जा रहा है। दूसरी ओर पूरे प्रकरण को लेकर डीजीपी मुख्यालय से लेकर एनेक्सी तक में तरह-तरह की चर्चाएं हैं। इस मामले को लेकर इंटेलीजेंस ब्यूरो से लेकर राज्य की सुरक्षा एजेंसियों की भी सक्रियता बढ़ गई है। दो प्रदेशों की पुलिस से जुड़ा मामला होने के चलते भी अधिक संवेदनशील हो गया है। आइबी पूरे प्रकरण की छानबीन कर रही है।

यह है प्रकरण
नाभा जेल ब्रेक के मामले में पंजाब पुलिस मास्टरमाइंड गोपी घनश्यामपुरा की तलाश कर रही है। इस बीच गत दिनों गोपी के लखनऊ में पकड़े जाने की बात सामने आई थी लेकिन, किसी जांच एजेंसी ने इसकी पुष्टि नहीं की थी। 12 सितंबर को नाभा जेल से भागे एक आरोपित ने सोशल मीडिया पर गोपी के लखनऊ में पकड़े जाने की सूचना वायरल की थी। इसी बीच गोपी को छुड़ाने के लिए एक करोड़ रुपये में डील होने तथा करीब 45 लाख रुपये आइजी स्तर के अफसर को देकर छुड़ाने की बात सामने आई। पूरे प्रकरण में आइजी स्तर के अधिकारी का नाम आने के साथ ही कांग्रेस नेता संदीप तिवारी उर्फ पिंटू के जरिये डील होने की बात भी सामने आई। उधर, एटीएस ने 16 सितंबर को संदीप तिवारी उर्फ पिंटू, हरजिंदर व अमनदीप को पकड़ा था, जिन्हें पंजाब पुलिस अपने साथ ले गई थी।

आइजी एसटीएफ ने आगे आकर दी सफाई
पूरे प्रकरण में बुधवार को बड़ा मोड़ तब आया, जब आइजी एसटीएफ अमिताभ यश एनेक्सी पहुंचे और कुछ वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की। इसके बाद आइजी एसटीएफ ने प्रेस नोट जारी कर प्रकरण से उनका व यूपी एसटीएफ का कोई सरोकार न होने की बात कही। कहा कि गुरुप्रीत सिंह उर्फ गोपी घनश्यामपुरा नाभा जेल ब्रेक में पंजाब पुलिस का वांछित है और उस पर दो लाख का इनाम घोषित है। पंजाब की मीडिया में गोपी को उप्र एसटीएफ द्वारा पकड़े जाने व घूस लेकर छोड़े जाने की बात सामने आई है, जो समाचार अपुष्ट सूत्रों के हवाले से दिए गए हैं। इस प्रकरण से एसटीएफ व उसकी किसी यूनिट/टीम से कोई सरोकार नहीं है।

आइपीएस एसोसिएशन की बैठक बुलाने की मांग
आइपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने नाभा जेल ब्रेक मामले में मास्टरमाइंड को छुड़ाए जाने के मामले में यूपी कैडर के एक आइपीएस अफसर का नाम आने के प्रकरण को लेकर आइपीएस एसोसिएशन बैठक बुलाए जाने की मांग की है। अमिताभ के मुताबिक उन्होंने आइपीएस एसोसिएशन के अध्यक्ष डीजी फायर सर्विस प्रवीण सिंह को पत्र भेजकर कहा है कि जिस प्रकार से आरोप सामने आये हैं और एक अफसर ने इस संबंध में अपना स्पष्टीकरण दिया गया है, उससे पूरा प्रकरण रहस्यमय हो गया है। यह मामला व्यापक राष्ट्रहित व पूरे आइपीएस संवर्ग से जुड़ा है। लिहाजा इसकी खुली चर्चा करने के लिए एसोसिएशन की बैठक बुलाई जानी चाहिए।

जांच रिपोर्ट के बाद होगी कार्रवाई
प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार ने कहा कि प्रकरण गंभीर है। शासन ने मामले का संज्ञान लेते हुए उच्च स्तरीय जांच का निर्देश दिया है। ताकि पूरा मामला स्पष्ट हो सके। जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी। डीजीपी सुलखान सिंह ने कहा कि जो भी आडियो रिकार्डिंग है, उसे भी जांच में शामिल कर उसका परीक्षण कराया जाएगा। एडीजी कानून-व्यवस्था ने जांच शुरू कर दी है। जांच रिपोर्ट मिलने पर पूरा मामला स्पष्ट हो सकेगा। प्रवक्ता उप्र सरकार श्रीकांत शर्मा ने बताया कि यह विषय आया है। जांच होगी। योगी सरकार की मंशा स्पष्ट है कि जो दोषी हो उसे सजा मिले। इस जांच में कोई लीपापोती नहीं होगी। अगर कोई संलिप्त है तो उस पर कठोरतम कार्रवाई होगी।

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