Tuesday, April 30, 2024
लखनऊ

102 में हुई धांधली, एफआइआर का आदेश

SI News Today

लखनऊ [संदीप पांडेय]। प्रदेश में अखिलेश यादव सरकार का बड़ा प्रोजेक्ट मानी जा रही 102 एंबुलेंस सेवा के संचालन में बड़ी धांधली उजागर हुई है। जांच में पाया गया है कि एजेंसी ने एक्सल शीट में फर्जी मरीजों की इंट्री कर करोड़ों का भुगतान ले लिया। इसके बाद सेवा प्रदान करने वाली कंपनी के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने का आदेश दिया गया है।

एजेंसी की सबमिट रिपोर्ट की क्रॉस चेकिंग कर एनएचएम निदेशक ने इस बड़े घोटाले को सबके सामने रखा है। उन्होंने सेवा प्रदाता एजेंसी जीवीकेईएमआरआइ के खिलाफ एफआइआर कराने के आदेश दिए हैं। प्रदेश में लंबे समय से 108 व 102 एंबुलेंस संचालन का जिम्मा जीवीकेईएमआरआइ के पास है। वर्ष 2012 में शुरू हुई 108 एंबुलेंस सेवा के बेड़े में कुल 1,488 वाहन शामिल हैं। वहीं वर्ष 2014 में शुरू हुई 102 एंबुलेंस सेवा में कुल 2,270 वाहनों के फर्राटा भरने के दावे किए जा रहे हैं। दोनों ही एंबुलेंस सेवा काफी दिनों से सवालों के घेरे में है।

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अप्रैल में एनएचएम निदेशक आलोक कुमार ने 102 एंबुलेंस सेवा की गत महीनों की सबमिट एक्सल शीट की जांच कर धांधली का भंडाफोड़ कर दिया। कंपनी की हर माह भुगतान के लिए मुहैया कराई जाने वाली एक्सल रिपोर्ट में उन्होंने फर्जी मरीज की इंट्री पकड़ी। प्रथम दृष्टया दो जिलों की जांच में गहरी अनियमितताएं पाए जाने पर उन्होंने डीजी परिवार कल्याण को पत्र लिखकर एजेंसी के खिलाफ एफआइआर कराने के आदेश दिए हैं।

फर्जी केस दर्ज कर बढ़ाई ट्रिप

दरअसल, एक्सल रिपोर्ट में अधिकतर एंबुलेंस की ट्रिप एक दिन में 20 के पार जाना शंका के घेरे में आ गया। एनएचएम निदेशक आलोक कुमार के मुताबिक अप्रैल 2016 में जहां एक दिन में 20 से अधिक ट्रिप लगाने वाली एंबुलेंस की संख्या 100 थी। वहीं फरवरी 2017 तक 20 ट्रिप करने वाली एंबुलेंस की संख्या में बाढ़ आ गई है। आलम यह है कि देखते ही देखते इनकी संख्या 2085 पहुंच गई। अचानक हर क्षेत्र की एंबुलेंस से जाने वाले मरीजों के इतनी बड़ी संख्या में केस दर्शाने पर मामले की जांच की गई है।

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रेंडम जांच की खुली पोल

एंबुलेंस सेवा की एक्सल रिपोर्ट की रेंडम जांच जिलों के सीएमओ करते हैं। वह हर माह कमेटी द्वारा तय तारीख के केसों की जांच कर रिपोर्ट पर मुहर लगाते हैं, मगर एनएचएम निदेशक ने जब बांदा व इलाहाबाद दो जनपदों के सीएमओ की रेंडम जांच में क्रॉस चेकिंग की गई तो कई केस फर्जी मिले। ऐसे में एनएचएम निदेशक ने 26 अप्रैल को पत्र संख्या 518 लिखकर संबंधित जनपदों में फर्जी केसों की पुष्टि कर सेवा प्रदाता कंपनी के खिलाफ एफआइआर कराने के आदेश दिए हैं।

सीएमओ भी फसेंगे

निदेशक आलोक कुमार ने एक दिन में 20 ट्रिप करने वाली सभी एंबुलेंस की एक्सल रिपोर्ट की क्रॉस चेकिंग के निर्देश दिए हैं। ऐसा हुआ तो एजेंसी के साथ-साथ आंख मूंद कर रेंडम जांच कर भुगतान को हरी झंडी देने वाले सीएमओ का भी फंसना तय है।

पूर्व मंत्री ने कैबिनेट में उठाया था मुद्दा

तत्कालीन परिवार कल्याण मंत्री रविदास मेहरोत्रा ने एंबुलेंस में फर्जी मरीजों को दर्शाकर भुगतान कराने का मुद्दा कैबिनेट बैठक में उठाया था। मामले की जांच के लिए उन्होंने विभागीय अधिकारी व मुख्यसचिव को पत्र भी लिखा था। एजेंसी का भुगतान भी रोका गया, मगर बाद में मामला रफा-दफा हो गया। यही नहीं पूर्व कर्मियों द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट से कई मरीजों को मंत्री ने फोन कर फर्जी केस भी पकड़े थे। ऐसे में उन्होंने एजेंसी पर घोटाले का आरोप लगाया था।

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कोर्ट में चल रही सुनवाई

एंबुलेंस सेवा में धांधली के मामले में हाईकोर्ट में भी सुनवाई चल रही है। न्यायालय में कानपुर निवासी अमित मिश्रा व अन्य ने याचिका दायर कर मामले की जांच सीबीआइ से कराने की मांग की है।

मरीजों की फर्जी इंट्री

निदेशक, एनएचएम आलोक कुमार ने बताया कि 102 एंबुलेंस सेवा में फर्जी मरीजों की इंट्री पाई गई है। एक्सल रिपोर्ट में एक ही गांव के एक ही मरीज को कई बार दर्शाया गया है। संबंधित रेंडम जांच दोबारा कराकर कंपनी के खिलाफ एफआइआर व लापरवाह सीएमओ पर कार्रवाई के लिए डीजी परिवार कल्याण को पत्र लिखा गया है।

दर्ज होगी एफआइआर

डीजी परिवार कल्याण, डॉ. नीना गुप्ता ने बताया कि मुझे एनएचएम निदेशक का पत्र मिला है। एंबुलेंस में फर्जी केसों का उसमें जिक्र है, जिसकी जांच चल रही है। रिपोर्ट मिलते ही एजेंसी के खिलाफ एफआइआर कराई जाएगी। वहीं लापरवाह सीएमओ के खिलाफ कार्रवाई के लिए शासन को लिखा जाएगा।

कोई फर्जी केस नहीं दर्ज

स्टेट हेड, ऑपरेशन, जीवीकेईएमआरआइ वीरेंद्र वालिया ने बताया कि एंबुलेंस संचालन की रिपोर्ट में एक भी फर्जी केस दर्ज नहीं किए गए हैं। संबंधित जनपदों केसीएमओ से वेरीफिकेशन हो चुका है। इसमें कोई आपत्ति नहीं की गई। यदि एनएचएम निदेशक साहब को कोई गड़बड़ी लगती है तो दोबारा केसों की जांच करा लें। फिलहाल एजेंसी या मुझे अभी कोई पत्र केस गड़बड़ मिलने या एफआइआर कराने संबंधी नहीं मिला है।

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