The result of district administration’s negligence is the Mau district’s food scandal.
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दिल्ली में भुखमरी से तीन बालिकाओं की मौत पर भाजपा सरकार जितनी मजबूती से दिल्ली सरकार को घेरती चली आ रही है, उतनी ही फुर्ती से उत्तर प्रदेश सरकार का खाद्य एवम रसद मंत्रालय और मऊ जिलाप्रशासन, जिले में हो रहे खाद्यान्न घोटाले को दबा कर खुद का दामन दागदार होने से बचाने में जुटा है और तमाम शिकायतों के बावजूद जिम्मेदार नेताओं की खामोशी इस बात का सबूत है। हमारे द्वारा पिछले कुछ महीनों से मऊ जिले में हो रहे खद्यान्न घोटाले के खिलाफ लगातार सबूतों के बल पर खुलासा किया जा रहा है। लेकिन मुख्यमंत्री सहित सम्बंधित विभाग के मंत्री व अधिकारियों पर इसका कोई भी फर्क पड़ता नहीं दिख रहा।
जिले में और भी कई शिकायतकर्ताओं की शिकायतों पर शासन द्वारा जांच उपायुक्त(खाद्य) वाराणसी मण्डल को देकर मामले को पिछले कुछ महीनों से लटकाए रखा गया है। आपको बता दें प्रदेश में मुख्यमंत्री के सख्ती के बावजूद भी मऊ जिलापूर्ति कार्यालय में तैनात पूर्ति निरीक्षक हर्षिता राय एवँ लिपिक धीरज कुमार अग्रवाल तथा जिलापूर्ति अधिकारी के अंतर्गत काम करने वाले प्राइवेट कर्मचारी एवं चपरासी नारायण यादव के द्वारा किये जा रहे भ्रष्टाचार में कोई भी कमी ना दिखने का कारण जिलाप्रशासन द्वारा प्राप्त सहयोग मात्र है।
गौर करने वाली बात यह है कि गोण्डा,फतेहपुर जैसे जिलों में हुए खद्यान्न घोटाले में मुख्यमंत्री ने जिस तरह जिलाधिकरियों पर कार्यवाही की है, उसको देखते हुए मऊ जिले के जिलाधिकारी प्रकाश बिंदु को अपने कर्त्तव्यों का पालन करते हुए इस मामले को संज्ञान में लेकर दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही करना चाहिए था, लेकिन उनके द्वारा अब तक इस मामले पर किसी भी प्रकार की कोई भी कार्यवाही या वक्तव्य ना देना जिलाप्रशासन की घोर लापरवाही को दर्शाता है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि मऊ जिले के जिलापूर्ति कार्यकाल में ऐसे तमाम अधिकारी व कर्मचारी हैं जो पिछले कई सालों से इसी जिले में कार्यरत हैं, जिसका लाभ लेकर उन्होंने मऊ खाद्यपूर्ती विभाग को घोटाले के दलदल में पूरी तरह से धंसा दिया है।
सूत्रों की माने तो मऊ जिलापूर्ति कार्यालय के अधिकारियों ने मामला बिगड़ता देख इस भ्रष्टतंत्र की मजबूत कड़ी, जिलापूर्ति अधिकारी के अंतर्गत काम करने वाले प्राइवेट कर्मचारी को हटा कर मामले को संभालने का प्रयास किया है। लेकिन सवाल यह है कि दोषियों को कार्यमुक्त कर देने से राजस्व को लगे घाटे की पूर्ति किसके द्वारा होगी और जिन अधिकारियों ने जिले में पिछले कई सालों से अपना अड्डा जमा कर रखा है उनके द्वारा किये गए भ्रष्टाचार की जवाबदेही क्या लापरवाह मऊ जिलाप्रशासन की होगी या जिलाप्रशासन द्वारा अभी भी इस मामले पर अनभिज्ञता जताते हुए मामले पर पर्दा डालने का कार्य किया जाएगा।