23 साल की जेजमिन फ्लॉइड हमसे और आपसे अलग हैं। एक बेहद दुर्लभ बीमारी के कारण उनकी मांसपेशियों में हड्डियों जैसी संरचना बन रही है और इसके कारण वह ‘पत्थर’ में तब्दील होती जा रही हैं। जेजमिन अपने परिवार के साथ अमेरिका के कनेक्टिकट में रहती हैं। उन्हें फिबरोडिस्प्लासिया ओसिफिकन्स प्रोग्रेसिविया नाम की एक एक बेहद असामान्य बीमारी है। आंकड़ों के मुताबिक, दुनिया भर में आजतक केवल 800 लोग ही इस बीमारी के शिकार हुए हैं। इस बीमारी से जूझ रहे इंसान की मांसपेशियां, नसें और अस्थि-बंध (स्नायु) हड्डियों की तरह सख्त हो जाते हैं। इसके कारण शरीर के अंदर एक दूसरी कंकालुमान संरचना बन जाती है।
5 साल की उम्र में एक दिन जेजमिन ने गर्दन में दर्द की शिकायत की। उनके माता-पिता को लगा कि सोते समय गर्दन टेढ़ी हो गई होगी और शायद इसीलिए दर्द हो रहा होगा। लेकिन यह दर्द इतना सामान्य नहीं था। जेजमिन की गर्दन बड़ी अजीब सी मुद्रा में एक ओर को झुक गई। कई डॉक्टरों को दिखाने और कई तरह की जांच करवाने के बाद आखिरकार जनवरी 1999 में जेजमिन और उनके परिवार को पता चला कि इस बीमारी के बारे में पता चला। फिर धीरे-धीरे जेजमिन को अपना मुंह चलाने, गर्द, कंधा, कोहनी और कूल्हे घुमाने में भी तकलीफ होने लगी। उन्हें बोलने और खाने में तकलीफ होने लगी।
दिन बीतने के साथ-साथ जेजमिन के शरीर की हरकतें भी सीमित होती गईं। उन्हें वीलचेअर का सहारा लेना पड़ा। उनके जोड़ों में अतिरिक्त हड्डी बन जाने के कारण वह बहुत कम ही चल पाती हैं। डॉक्टरों के मुताबिक, इस बीमारी में इंसान की हड्डियों के जोड़ के ऊपर भी हड्डियां उग जाती हैं। इसके कारण जोड़ जाम हो जाते हैं और इंसान का चलना या कोई और काम कर पाना मुमकिन नहीं हो पाता। जेजमिन की स्थिति अभी कुछ ऐसी है कि वह एक सेंटीमीटर से ज्यादा अपना मुंह नहीं खोल पाती हैं। उनकी रीढ़ की हड्डियों के ऊपर भी हड्डियां बन गई हैं। कुल मिलाकर जेजिमन की हालत दिनोंदिन और भी ज्यादा तकलीफदेह और मुश्किल होती जा रही है, लेकिन इसके बावजूद उनकी हिम्मत नहीं टूटी है। इससे पहले कि इस बीमारी के कारण वह पूरी तरह जड़ हो जाएं, जेजमिन कई जगहों पर घूमना चाहती हैं और नई जगहें देखना चाहती हैं। वह कोशिश करती हैं कि अपने बुनियादी कामों के लिए उन्हें किसी की मदद ना लेनी पड़े। वह अपना काम खुद करना चाहती हैं, लेकिन वह अपने हाथ को केवल अपने सिर तक ही उठा पाती हैं। इससे ऊपर उनके हाथ नहीं बढ़ पाते।
जेजमिन ने अपना एक ब्लॉग पेज भी शुरू किया है। इसमे उन्होंने अपनी इच्छाओं और बीमारी के बारे में विस्तार से बताया है। वह लिखती हैं, ‘मैं कोशिश करती हूं कि इस डर को अपने ऊपर हावी ना होने दूं, लेकिन यह बहुत मुश्किल चुनौती है। मुझे नहीं पता कि अगले पल क्या हो जाएगा। मैं कोशिश करती हूं कि खुद को इस स्थिति के लिए ढाल लूं। मैं आने वाली परिस्थितियों के लिए खुद को पहले से तैयार करना चाहती हूं। इस बीमारी से जूझने के लिए मैं खुद को काबिल बनाने की कोशिश कर रही हूं।’ शायद यही वजह है कि जेजमिन अपने छोटे-छोटे काम खुद करने की कोशिश करती हैं। वह ऐसे उपकरण खरीदती हैं, जो उन्हें ज्यादा से ज्यादा आत्मनिर्भर बनाने में मदद कर सकें। इस काम में उनका परिवार भी उनकी पूरी मदद कर रहा है।