अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एच1बी वीजा कार्यक्रम की समीक्षा की बात करने वाले एक शासकीय आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं जिसमें कहा गया है कि इन वीजा का इस्तेमाल अमेरिकी कर्मियों की जगह अन्य कर्मियों की भर्ती करने के लिए नहीं होना चाहिए और ये वीजा सबसे कुशल एवं सर्वाधिक वेतन प्राप्त करने वाले प्रार्थियों को दिए जाने चाहिए। ट्रंप ने भारतीय तकनीकी पेशेवरों के बीच लोकप्रिय कार्यक्रम को निशाना बनाने वाले इस आदेश पर स्नैप आॅन इंक कंपनी के विस्कॉन्सिन के केनोशा स्थित मुख्यालय में कल हस्ताक्षर किए। ट्रंप ने शासकीय आदेश पर हस्ताक्षर करने से पहले कहा, ‘इस समय सभी पृष्ठभूमियों के अमेरिकी कर्मियों की जगह अन्य देशों से लाए गए कर्मियों को कम वेतन देकर उसी नौकरी पर रख कर हमारी आव्रजन प्रणाली का दुरुपयोग किया जा रहा है। यह रुकेगा। उन्होंने कहा कि यह आदेश ‘‘वीजा दुरुपयोग’’ को समाप्त करने के लिए लंबे समय से लंबित सुधार शुरू करने की दिशा में पहला कदम है।
बता दें कि बीते ही दिन ट्रंप ने एक ऐसे शासकीय आदेश पर हस्ताक्षर करेंगे जो एच1बी वीजा जारी करने की प्रक्रिया को कड़ा किया और प्रणाली की समीक्षा की मांग करेगा ताकि इन वीजा को देने के लिए ‘‘पूरी तरह से नया तंत्र’’ बनाया जाए। इस वीजा की भारतीय आईटी फर्मों और पेशेवरों के बीच काफी मांग थी। ट्रंप ‘बाय अमेरिका, हायर अमेरिका’ शासकीय आदेश पर हस्ताक्षर करने के लिए प्रतिनिधि सभा के स्पीकर पॉल रेयान के गृह राज्य विस्कान्सिन के मिलवौकी शहर जाएंगे।
यह अधिक कुशलता आधारित और योग्यता आधारित आव्रजन प्रणाली बनाने की दिशा में एक परिर्वतनकारी कदम है। इस शासकीय आदेश पर हस्ताक्षर किए जाने से एक ही दिन पहले अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवा ने घोषणा की थी कि उसने इस साल एक अक्तूबर से शुरू हो रहे वित्त वर्ष 2018 के लिए 65000 एच1बी वीजा के कांग्रेशनल आदेश के लिए उसे प्राप्त 1,99,000 याचिकाओं से कम्प्यूटरीकृत ड्रॉ पूरा कर लिया है।
यह लॉटरी अमेरिकी शैक्षणिक संस्थानों से उच्चतर शिक्षा प्राप्त प्रार्थियों के लिए 20,000 एच1 बी वीजा के लिए निकाली गई है। एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिाकरी ने एच1बी वीजा के लिए पारंपरिक लॉटरी प्रणाली का विरोध करते हुए व्हाइट हाउस के संवाददाताओं से कहा कि इन वीजा का उपयोग कंपनियां कम वेतन दर पर विदेशी कर्मियों को लाने और स्थानीय कर्मियों को विस्थापित करने के लिए कर रही हैं।
अधिकारी ने तर्क दिया कि तकनीकी पेशेवरों की मांग को पूरा करने के लिए देश में पर्याप्त संख्या में योग्य लोग हैं।
बता दें कि अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवा ने एक नई व्यवस्था दी है जिसके तहत किसी सामान्य कम्प्यूटर प्रोग्रामर को अब विशेषज्ञता-प्राप्त पेशेवर नहीं माना जाएगा जो एच1बी कार्य वीजा के मामले में एक अनिवार्य शर्त है। इस कदम का असर एच1बी कार्य वीजा के लिए आवेदन करने वाले हजारों भारतीयों पर पड़ सकता है। यह व्यवस्था अमेरिका के डेढ़ दशक पुराने दिशानिर्देशों के ठीक उलट हैं जिन्हें नई सहस्राब्दी की जरूरतों को पूरी करने के लिए जारी किया गया था।