दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) के सदस्यों ने पाकिस्तान को एक मामले में फटकार लगाई है और दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय में योगदान के लिए तुरंत 7.85 मिलियन डॉलर यानि करीब 52 करोड़ रुपयों का भुगतान करने को कहा है।
सार्क के सदस्यों में केवल पाकिस्तान ही एक मात्र ऐसा सदस्य है जिसने अभी तक संस्थान चलाने के लिए कोई राशि नहीं दी है।
विदेश मंत्रालय ने हाल ही में इस मुद्दे पर एक संसदीय पैनल में जानकारी दी कि अगर पाकिस्तान ये राशि नहीं दे पाता तो दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय प्रशासन इस मामले में पाकिस्तान की निरंतर भागीदारी की समीक्षा करेगा।
इसके पहले पिछले महीने की शुरुआत में भी काठमांडू में हुए सार्क की प्रोग्रामिंग कमेटी की 53वीं बैठक के दौरान भी इस मुद्दे पर चर्चा हुई। भारत विश्वविद्यालय के संचालन में योगदान के लिए अब तक करीब 197 करोड़ रुपए दे चुका है।
भारत के अलावा अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, नेपाल और श्रीलंका भी इसके लिए क्रमश: करीब 15 करोड़, 32 करोड़, 15 करोड़, 12 करोड़, 19 करोड़, 19 करोड़ की राशि दे चुके हैं।
दक्षिण एशिया के मामलों और सार्क के कामकाज के एक विशेषज्ञ ने बताया कि यह ऐसा पहला मामला नहीं है जब पाकिस्तान ने सार्क की पहल का विरोध किया हो। दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय के लिए भुगतान करने में पाकिस्तान की देरी सार्क की पहलों का विरोध करने की अपनी सामान्य नीति के जैसी ही है।