सरकार भले ही आधार कार्ड को हर सरकारी सेवा के लिए अनिवार्य करना चाह रही हो मगर आधार की विश्वसनीयता पर सवाल उठने लगे हैं। आधार डाटा की सूचना लीक होने की खबरों के बीच राजस्थान के जैसलमेर में आधार कार्ड बनाने में बड़ी लापरवाही का मामला उजागर हुआ है। वहां एक गांव के सभी लोगों के आधार कार्ड पर एक ही जन्म तिथि दर्ज कर दी गई है। मामला जैसलमेर के पोखरण इलाके के पाबुपाडिया गांव का है। यहां हर शख्स चाहे वो छोटा हो या बड़ा, सब की जन्म तिथि एक जनवरी ही आधार कार्ड पर दर्ज है। ई-मित्र संचालकों की गड़बड़ी की वजह से ऐसा हुआ है। जब लोगों ने इस बारे में अधिकारियों को बताया तो उन लोगों ने इस पर कोई कार्रवाई करना तो दूर इस मुद्दे पर चर्चा तक नहीं की। पाबुपाडिया डिडानिया ग्राम पंचायत के तहत आता है। यह गांव पाकिस्तान सीमा से नजदीक है।
ग्रामीण क्षेत्र के लोग इससे परेशान हैं। लोग बताते हैं कि आधार एनरौल करते वक्त ई-मित्र संचालकों ने उनसे जन्म तिथि के बारे में कुछ भी नहीं पूछा। वोटर आईकार्ड देखकर उसमें दर्ज उम्र में एक जोड़कर जन्म तिथि एक जनवरी दर्ज कर दी गई। पाबुपाडिया गांव की आबादी करीब 250 की है। कई लोग पोखरण में जा बसे हैं। यहां रहने वाले सभी लोगों की जन्मतिथि एक जनवरी ही है।इस गांव के साथ-साथ ग्राम पंचायत मानासर और भूर्जागढ़ के तहत आने वाले गांवों के ग्रामीणों के भी आधार कार्ड में जन्म तिथि एक जनवरी ही दर्ज की गई है। यानी आधार कार्ड के आधार पर पूरे गांव की जन्म तिथि एक ही दिन है।
दरअसल, सरकार आधार कार्ड बनवाने के लिए ठेके पर काम देती है। ठेका लेने वाली एजेंसी उस काम को सब कॉन्ट्रैक्ट पर दूसरों को देती है। फिर वो एजेंसी या शख्स तीसरी एजेंसी या अलग-अलग लोगों से प्रति कार्ड की दर से भुगतान कराने की शर्त पर काम करवाता है। ऐसे में हर कोई कम से कम समय में ज्यादा से ज्यादा कार्ड बनाने को बेकरार रहता है ताकि उसे ज्यादा मेहनताना मिल सके। इस वजह से अक्सर आधार कार्ड में दर्ज आंकड़ों में गलतियां होती हैं। दूसरी बड़ी बात यह कि आधार कार्ड में नाम जोड़ना या उसमें एन्ट्री चेंज कराना अब धंधा बन चुका है। लोग इसके लिए 100 रुपये प्रति एंट्री लेते हैं। लिहाजा, जानबूझकर भी कुछ गलतियां छोड़ देते हैं ताकि कमाई की जा सके। जबकि स रकार की तरफ से इसके लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता है।