आधार कार्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि सरकार अपनी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ देने के लिए आधार को अनिवार्य नहीं बना सकती. हालांकि कोर्ट ने कहा कि सरकार को बैंक खाते खोलने जैसी अन्य योजनाओं में आधार का इस्तेमाल करने से नहीं रोका जा सकता.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आधार को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई के लिए सात न्यायाधीशों की एक पीठ गठित की जानी है, लेकिन इस समय ऐसा संभव नहीं है. हाल ही में सरकार ने आधार नंबर को बच्चों के लिए मिड डे मिल समेत करीब एक दर्जन योजनाओं के लिए अनिवार्य करने का फैसला किया था. इसमें स्टूडेंट्स को मिलने वाली स्कॉलरशिप भी शामिल थी, जिसमें बाद में छूट देने का फैसला किया गया.
एक याचिकाकर्ता के लिए उपस्थित हुए वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दिवाण ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित विभिन्न आदेशों का पालन नहीं कर रही है, जिनमें स्पष्ट था कि आधार का उपयोग स्वैच्छिक होगा, अनिवार्य नहीं.
11 अगस्त 2015 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आधार कार्ड सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए अनिवार्य नहीं होगा. इसके साथ अधिकारियों को एकत्र किए गए निजी बायोमेट्रिक डाटा को साझा करने से रोक दिया था. हालांकि, 15 अक्तूबर, 2015 को उसने पुराने प्रतिबंध को वापस ले लिया और मनरेगा, सभी पेंशन योजनाओं भविष्य निधि, और एनडीए सरकार की महत्वकांक्षी प्रधानमंत्री जन-धन योजना सहित अन्य कल्याणकारी योजनाओं में आधार कार्ड के स्वैच्छिक प्रयोग की अनुमति दे दी.