बिहार में सत्ताधारी महागठबंधन में शामिल जनता दल (युनाइटेड) द्वारा राष्ट्रपति चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को समर्थन के फैसले के बाद राष्ट्रीय जनता दल (राजद) का गुस्सा सातवें आसमान पर है। राजद ने यहां तक कह दिया है कि नीतीश कुमार देशभर के मालिक नहीं हैं।
राजद के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह ने यहां गुरुवार को कहा कि सबसे पहले नीतीश कुमार ने ही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद से मिलकर धर्मनिरपेक्ष दलों के संयुक्त फैसले से राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार उतारने की बात कही थी, इसके बाद वह बदल गए।
उन्होंने जद (यू) पर विपक्षी एकता में फूट डालने का आरोप लगाते हुए कहा, “जद (यू) अलग निर्णय लेकर विपक्षी एकता को कमजोर करने की कोशिश करता है, जिससे लोगों में गलत संदेश जाता है।”
सिंह ने हालांकि यह भी कहा कि राजद सभी धर्मनिरपेक्ष दलों के एकजुट करने का प्रयास करता रहेगा। उन्होंने नीतीश के फैसले पर बिफरते हुए कहा, “नीतीश देशभर के मालिक हैं क्या? राजद के प्रयास से धर्मनिरपेक्ष दल एकजुट होंगे और एक राष्ट्रीय विकल्प तैयार होगा।”
इधर, राजद के विधायक भाई वीरेंद्र ने कहा कि नीतीश कुमार महागठबंधन को ठेंगा दिखा रहे हैं और नीतीश का यह फैसला राजद और कांग्रेस के साथ धोखा है। उन्होंने कहा, “नीतीश कुमार को अगर भाजपा से दोस्ती निभानी है तो खुलकर कहें। हमें क्यों धोखा दे रहे हैं?”
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति चुनाव में जद (यू) ने कोविंद को समर्थन देने का फैसला किया है। जिसको लेकर सोनिया गांधी ने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार पर आम सहमति बनाने के लिए विपक्षी दलों से चर्चा करने की पहल की थी। इस संदर्भ में सोनिया गांधी से मुलाकात करने वालों में नीतिश कुमार भी थे और उनकी पार्टी के नेताओं ने समूह की सभी बैठकों में हिस्सा लिया था।
वामपंथी दल कोविंद के मुकाबले उम्मीदवार उतारने के पक्ष में हैं। वे इसे ‘विचारात्मक द्वंद्व’ कहते हैं। कुछ पार्टियां राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार का नाम भी सुझा रही हैं, जबकि महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार शिंदे का नाम भी चर्चा है। ये भी दलित हैं। बिहार में सत्ताधारी महागठबंधन में जद (यू), कांग्रेस और राजद शामिल हैं।