Wednesday, March 27, 2024
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आखिर किस गुनाह की सजा मिल रही मुझे, कब जीने देगा मुझे ये समाज

SI News Today

After all of which crime punishment I get, When this society allow me to live freely.

  

वक्त बदलने के साथ-साथ लोग बेरहमी की सारी हदें पार करते चले जा रहें हैं। जहां न तो औरते सुरक्षित हैं और न ही बेटियां । यहां तक कि जानवर भी दरिंदगी का शिकार हो रहें हैं। हमने वो दौर भी देखा है जहां एक 5 महीने की बच्ची के साथ हैवानियत हुई और 65 साल की वृद्ध महिला के साथ हुई। ये कैसा समाज है, ये कैसा जमाना आ गया है? जहां पर स्त्रियों को, बच्चियों को इस कदर की सजा बिना गलती के ही दी जा रही है। आखिर ये क्या होता चला जा रहा है हमारे देश को, हमारे समाज को? जो नारियों से उनका सबकुछ छीनता चला जा रहा है और उन्हें मर-मर के जीने पर मजबूर कर रहा है। क्या अब लड़कियों को उनके लड़की होने पर अफसोस करना पड़ेगा और चार दीवारियों के भीतर घुट-घुट कर जी रहीं हैं। उन मर्दों का क्या जो अपनी मर्दानिगी का जलवा दिखा करके खुलेआम घूम रहें हैं? उन्हें कानून का खौफ क्यों नही है?

मुझे आज तक ये बात समझ नही आई कि जो लड़के अपनी बहन के साथ छेड़छाड़ और दुर्व्यवहार होने से आगबबूला हो जाते हैं और गुस्से में आकर कुछ भी कर जाते हैं। तो वही लड़के दूसरों की बहन, बेटी के साथ ऐसी ओछी हरकत कैसे कर जाते हैं? तो क्या उस समय उनका जमीर ये नही कहता कि ये गलत है, किसी की जिंदगी छीनने का हक तुम्हें नहीं हैं। क्या उस समय उनके कानों में ये बात नही गूंजती कि जो वो आज कर रहें हैं कल को उनकी बहन, बेटी के साथ भी कोई कर सकता है। पर वो क्यों सोचेंगे ऐसा? उनके लिए तो अपनी बहन और अपनी मां ही अपनी है। बाकी की दुनिया से उनका कोई लेना देना नही है, कुछ भी करो उनके साथ, और फिर सारा दोष तो लड़की पर जाएगा, जो भी कष्ट झेलना होगा जैसी भी जिंदगी होगी सबकी सजा तो सिर्फ लड़की को ही मिलेगी। हम तो मर्द है तो अपनी मर्दानगी तो दिखाएंगे ही। फिर चाहे उसकी वजह से किसी बेकसूर की जिंदगी ही बर्बाद क्यों न हो जाए, चाहे वो मर जाए या फिर ये समाज व उसके लोग उसे जीने न दे। इन सब चीजों से हमें क्या लेना देना, हम तो अपने संस्कारों को, अपनी मर्यादाओं को उलंघन करेंगे, हम हमारे मां-बाप के दिखाए गए रास्ते पर बिल्कुल भी नही चलेंगे। हम तो लड़के हैं हमारी वर्जनिटी पर कौन उंगली उठा सकता है शक और अपराध तो सिर्फ लड़कियों पर ही किया जाता है। शादी करने के लिए लड़कों को वर्जिन लड़की ही चाहिए लेकिन उससे पहले का क्या जो हर लड़की को अपने नीचे सुला लेने की ख्वाईस पूरी की हो। तो कहां बचेगी उनके लिए ऐसी वर्जिन लड़की।

जहां तक मै जानती हूं और अपने बुजुर्गों से सुनी हूं, ऐसा तो नही था उस जमाने में। फिर आज क्यों होता जा रहा है कि लोग इंसान से जानवर बनते चले जा रहें हैं। क्या हमारी सोंच इतनी गिरती चली जा रही है, क्या हमारी मानसिकता इस कदर गंदी हो गई है कि हमें सही गलत का मतलब तक नही पता। कल को जब आपको भी लड़की होगी और वो घर से निकलने में हिचकिचाएगी और घर के अंदर रहने में  भी डरेगी तो कैसा लगेगा आपको। और शायद तब तक दुनिया और भी भयानक होती चली जाएगी जहां पर हर लड़की के लिए दिन भी काली रात के समान होगी। और अगर ऐसे ही सब चलता रहा तो एक दिन ऐसा भी होगा जब इस समाज में, हमारे देश में चारों तरफ सिर्फ यही मंजर होगा। इंसानियत और संवेदनाएं तो आपके अंदर पहले ही मर चुकी हैं और अब बचा ही क्या है शरीर। एक दिन वो भी नही बचेगा। फिर इस दुनिया में बचेगी सिर्फ पितृसत्तात्मक सीमित जनसंख्या। क्योंकि प्रकृति से उसकी जननी को तो हम पहले छीन चुके होंगे। सोंचना ये है कि हमारी मानसिकता ऐसी क्यों हो गई है। इसमें किसका दोष है, फिल्मों का, टेक्नोलॉजी का या फिर भौगोलिक दशा का। जहां तक फिल्मों और टेक्नोलॉजी का सवाल है तो हमें अपने पड़ोसी मुल्क चाइना से सीखना चाहिए कि टेक्नोलॉजी का उपयोग उसने सही दिशा में किया और गलत दिशा में इस्तेमाल होने वाले इंटरनेट को बंद करने का हुक्म जारी कर दिया। बाकी आप खुद समझदार हैं कि हमारे समाज को और हमारे परिवार को क्या चाहिए। अगर आपको ये बात ये बात अच्छी लगी हो तो इसे शेयर कर दे। हो सकता है ये हमारी छोटी सी पहल हो लेकिन सोंच बहुत बड़ी है।

By Shambhavi OJha

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