Saturday, July 27, 2024
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राष्ट्रवादी पत्रकारिता के खिलाफ JNU छात्रों ने किया प्रदर्शन

SI News Today

परिसर के अंदर यज्ञ और बाहर मुर्दाबाद के नारे। भारतीय जनसंचार संस्थान (आइआइएमसी) का प्रमुख परिसर ‘राष्टÑवाद’ के विवाद का नया अड्डा बन गया। बस्तर से ‘निष्कासित’ मुहिम शनिवार को दिल्ली पहुंची और पत्रकारिता के अगुआ संस्थान में ‘राष्टÑवादी पत्रकारिता’ की परिभाषा दी। आइआइएमसी और जेएनयू से जुड़े छात्रों के एक समूह ने शनिवार को संस्थान में यज्ञ और बस्तर के विवादित आइजीपी रहे शिवराम प्रसाद कल्लूरी को पत्रकारिता से जुड़े विषय पर व्याख्यान के लिए आमंत्रित करने के खिलाफ परिसर के बाहर धरना दिया। दिल्ली पुलिस और सुरक्षा बल के जवानों को  सुबह से ही परिसर के बाहर तैनात किया गया था। ‘यज्ञ’ आयोजित करने पर आइआइएमसी के महानिदेशक केजी सुरेश ने शनिवार को कहा कि उन्हें धर्मनिरपेक्षता का पाठ पढ़ाए जाने की जरूरत नहीं है।

बस्तर के आइजीपी रहने के दौरान कल्लूरी नक्सल प्रभावित क्षेत्र में अपने कथित मनमाने रवैये और मानवाधिकार उल्लंघनों के आरोपों को लेकर विवादों में हैं। इन आरोपों को लेकर उनका बस्तर से तबादला भी कर दिया गया था। ‘वर्तमान परिपे्रक्ष्य में राष्ट्रीय पत्रकारिता : मीडिया और मिथक’ विषय पर परिसर में सेमिनार का आयोजन करने से पहले दो घंटे का ‘यज्ञ’ आयोजित करने के फैसले पर सुरेश ने कहा कि दूसरे धर्मों को भी अपने रीति-रिवाजों का पालन करने की स्वतंत्रता है। घोषणा होने के बाद से ही इस कार्यक्रम को लेकर सोशल मीडिया में आलोचना हो रही रही थी। महानिदेशक ने कहा कि केवल भारत में ही इस तरह के अनुष्ठान कराए जाते हैं। अनुष्ठान के कारण इस तरह की बात की जा रही है कि भारत की धर्मनिरपेक्षता खतरे में है। लेकिन मूर्खों को समझने की जरूरत है कि पहले हमने देश में सभी धर्मों को समाहित किया है। कार्यक्रम में दीप जलाए जाते हैं, हर जगह भूमि पूजा होती है तो यह क्यों नहीं? परिसर में मुसलिम भी नमाज पढ़ सकते हैं, सिख अपने धार्मिक क्रियाकलाप कर सकते हैं। सुरेश ने आरोप लगाए कि मीडिया का एक वर्ग ‘माफिया’ की तरह व्यवहार कर रहा है और पत्रकारों को ‘संघी’ बता रहा है। मीडिया संगोष्ठी में सुरेश ने कहा कि जो यज्ञ का विरोध कर रहे हैं वे आसुरी शक्तियां हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सत्य अगर देश के लिए खराब है तो कम बताना चाहिए। उन्होंने पत्रकारों को यह सोचने के लिए भी सलाह दी की क्या क्या सत्य समाज के हित में है?

कल्लूरी ने अपने भाषण में कहा कि अब लड़ाई बोध (परशेप्सन) की है। उन्होंने कहा कि उन्हें बस्तर से निकाल दिया गया तो वे दिल्ली पहुंच गए। विवादित अधिकारी ने कहा कि वे दिल्ली में कुछ बुद्धिजीवियों को बस्तर से ले जाने और वहां से कुछ लोगों को दिल्ली लाने को तैयार हैं ताकि बस्तर के बारे में भ्रामक सूचनाओं का प्रसार रोका जा सके। उन्होंने कहा कि आदिवासी हमेशा से आत्मसंतुष्ट रहे हैं, लेकिन आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल के नक्सली बस्तर में घुसपैठ कर नक्सलियों को अपना शिकार बनाते हैं। कल्लूरी ने दावा किया कि बस्तर की 40 लाख की आबादी में से पांच से अधिक लोग उनसे घृणा नहीं करेंगे।आइआइएमसी परिसर के बाहर प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने कहा कि आइआइएमसी के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा कि किसी कार्यक्रम के पहले यज्ञ किया जा रहा है। कार्यक्रम को अगर आरएसएस के मुखपत्र ‘पांचजन्य’ के संपादक और विवादित अफसर संबोधित करेंगे तो इसे किस तरह से देखा जाए? एक खास विचारधारा के मुखपत्र के संपादक क्या पत्रकारिता के मानकों पर खरे उतर सकते हैं। परिसर के बाहर प्रदर्शन कर रहे आइआइएमसी के छात्रों अंकित कुमार सिंह, रोहिन वर्मा, दीपांकर और सचिन ने कहा कि राष्ट्रवादी पत्रकारिता का हौवा खड़ा कर अब तक की सारी पत्रकारिता को खारिज करने की कोशिश हो रही है। कल्लूरी जो पत्रकारों के अधिकारों का भी हनन करते आए हैं वे अब ‘राष्टÑवादी पत्रकारिता’ के मानक तय करेंगे?

मुझे धर्मनिरपेक्षता का पाठ पढ़ाने की जरूरत नहीं है। अनुष्ठान के कारण इस तरह की बात की जा रही है कि भारत की धर्मनिरपेक्षता खतरे में है। लेकिन मूर्खों को समझने की जरूरत है कि पहले हमने देश में सभी धर्मों को समाहित किया है। कार्यक्रम में दीप जलाए जाते हैं, हर जगह भूमि पूजा होती है तो यह क्यों नहीं? परिसर में मुसलिम भी नमाज पढ़ सकते हैं, सिख अपने धार्मिक क्रियाकलाप कर सकते हैं। मीडिया का एक वर्ग ‘माफिया’ की तरह व्यवहार कर रहा है और पत्रकारों को ‘संघी’ बता रहा है।

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