Tuesday, May 21, 2024
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा- देशभक्ति जताने के लिए राष्ट्रगान गाने की ज़रूरत नहीं…

SI News Today

सिनेमाघरों में फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान बजाए जाने को अनिवार्य करने के फैसले के 11 महीने बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि देशभक्ति जताने के लिए राष्ट्र गान की जरूरत नहीं है। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने सोमवार को संकेत दिया कि कोर्ट एक दिसंबर, 2016 के अपने आदेश में सुधार कर सकता है और राष्ट्रगान बजाने को वैकल्पिक किया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि समाज को ‘नैतिक पहरेदारी’ की आवश्यकता नहीं है। तीन सदस्यीय खंडपीठ ने सोमवार को कहा कि लोग मनोरंजन के लिए सिनेमा देखने जाते हैं और सोसायटी को मनोरंजन की जरूरत भी है। कोर्ट ने कहा, ‘जब कोर्ट ने राष्ट्रगान को अनिवार्य करने का आदेश दिया, तब यह सवाल भी खड़ा हुआ कि ये आदेश केवल फिल्मों के लिए ही क्यों है? ये आदेश ड्रामा और बाकी जगहों के लिए क्यों नहीं है?’

कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि देश भर के सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाने को नियंत्रित करने के लिए राष्ट्रीय ध्वज संहिता में संशोधन करने पर विचार किया जाए। पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार को सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाने के बारे में उसके पहले के आदेश से प्रभावित हुए बगैर ही इस पर विचार करना होगा। इस मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि भारत एक विविधता वाला देश है और एकरूपता लाने के लिए सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाना आवश्यक है। सुप्रीम कोर्ट के दिसंबर 2016 के आदेश के तहत देशभक्ति और राष्ट्रवाद की भावना पैदा करने के मकसद से सिनेमाघरों में फिल्म के प्रदर्शन से पहले राष्ट्रगान बजाना और दर्शकों के लिए इसके सम्मान में खड़ा होना अनिवार्य किया गया था। न्यायालय ने कहा था कि जब राष्ट्रगान और राष्ट्रीय ध्वज के प्रति सम्मान दर्शाया जाता है तो यह मातृभूमि के प्रति प्रेम और सम्मान को दर्शाता है।

सुप्रीम कोर्ट ने श्याम नारायण चोकसी की जनहित याचिका पर सभी सिनेमाघरों में फिल्म का प्रदर्शन शुरू होने से पहले अनिवार्य रूप से राष्ट्रगान बजाने के निर्देश के दिए थे। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने कुछ समय बाद सिनेमाघरों में फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान बजाए जाने के बारे में अपने आदेश में सुधार करते हुए शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों को सिनेमाघरों में राष्ट्र्रगान के दौरान खड़े होने से छूट दे दी थी। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति अमिताव राय की खंडपीठ ने यह भी स्पष्ट किया था कि राष्ट्रगान बजाए जाने के दौरान सिनेमाघरों के दरवाजे बंद करने की जरूरत नहीं है।

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