Tuesday, April 30, 2024
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यूपी: रामनगरी की 14 कोसी परिक्रमा की हुई शुरुआत…

SI News Today

आयोध्या: रामनगरी की 14 कोसी परिक्रमा की शुरुआत शनिवार को हो गई। ये परिक्रम रविवार को पूरे दिन चलेगी। हम आपको अयोध्या में होने वाली परिक्रमा का महत्व बता रहा है। ये जानकारी अयोध्या के पंडित धनंजय मिश्रा ने हमारे साथ साझा की है। Q&A में समझें अयोध्या की परिक्रमा के बारे में…

Q. अयोध्या में कितनी प्रकार की परिक्रमा?
A.अयोध्या में मुख्य तौर से 3 प्रकार की परिक्रमा होती हैं। पहली 84 कोसी, दूसरी 14 कोसी और तीसरा 5 कोसी। बता दें, 1 कोस में तीन किलो मिटर होते हैं।

Q. तीन परिक्रमा क्यों?
A. अयोध्या की सीमा तीन भागों में बंटी है। इसमें 84 कोस में अवध क्षेत्र, 14 कोस में अयोध्या नगर और 5 कोस में अयोध्या का क्षेत्र आता है। इस लिए तीन परिक्रमा की जाती है। इनमें से 84 कोसी परिक्रमा में साधू-संत हिस्सा लेते हैं, तो 14 कोसी और 5 कोसी परिक्रमा में आम लोग शामिल होते हैं।

Q. क्यों की जाती है परिक्रमा?
A.परिक्रमा का मुख्य उद्देश्य ये है कि हिन्दू धर्म के मुताबिक जीवात्मा 84 लाख योनियों में भ्रमण करती है। ऐसे में जन्म जन्मांतर में अनेकों पाप भी किए होते हैं। इन पापों को नष्ट करने के लिए परिक्रमा की जाती है। कहा जाता है कि परिक्रमा में पग-पग पर पाप नष्ट होते हैं।

Q. 14 कोसी परिक्रमा का क्या महत्व?
A. कार्तिक परिक्रमा को 14 कोसी परिक्रमा के तौर पर जाना जाता है। ये साल में एक बार होती है। ऐसा कहा जाता है कि कार्तिक परिक्रमा के दौरान भगवान विष्णु का देवोथान (जागना) होता है। इस वजह से इस दौरान किए गए काम को क्षरण नहीं होता। आप अगर मन से परिक्रमा में हिस्सा लें तो उसका फल आपको जरूर मिलता है।

Q. 5 कोसी परिक्रमा का क्या महत्व?
A. 5 कोसी परिक्रमा अयोध्या क्षेत्र में हर एकादशी को होती है। इस तरह से हर महीने मे दो बार ये परिक्रमा होती है। इस परिक्रमा का भी उद्देशय पापों को नष्ट करना होता है।

Q. 84 कोसी परिक्रमा का क्या महत्व?
A. 84 कोसी परिक्रमा पूरे अवध क्षेत्र में होती है। इतनी बड़ी परिक्रमा की वजह से इसमें आम लोग शामिल नहीं होती। ये परिक्रमा खास तौर से साधु-संतों की ओर से की जाती है। इसका महत्व ये है कि इसमें साधु-संत समाज के कल्याण के लिए ये परिक्रमा करते हैं।

Q. क्या परिक्रमा किसी खास स्थान से शुरू करनी है?
A.परिक्रमा को किसी खास स्थान से शुरू करने की जरूरत नहीं है। आप जहां से भी परिक्रमा को शुरू करेंगे उसका अंत भी वहीं होना चाहिए। कई लोग सरयू तट पर नहाने के बाद इसकी शुरुआत करते हैं।

Q. जो असमर्थ हैं वो कैसे करें परिक्रमा?
A. जिन लोगों को इतनी दूर चलने में परेशानी है। वो रामकोट क्षेत्र की परिक्रमा भी कर सकते हैं। ये दूरी 3 किमी की है। वहीं, जो लोग रामकोट क्षेत्र की परिक्रमा करने में भी असमर्थ हैं वो अयोध्या में स्थ‍ित कनक भवन की परिक्रमा भी कर सकते हैं। कनक भवन के बारे में प्रचलित है कि राम विवाह के बाद माता कैकई ने सीता जी को मुंह दिखाई में इस भवन को दिया था।

शुक्रवार शाम को ही अयोध्या पहुंच गए श्रद्धालु
– अयोध्या में परिक्रमा में शामिल होने के लिए देश-विदेश के श्रद्धालुओं का आगमन शुक्रवार को भी जारी रहा।
– मेला क्षेत्र में रोडवेज बसों व ट्रेनों के अलावा निजी साधनों से लगातार यहां पहुंच रहे श्रद्धालु अपने-अपने गुरुधामों में रुक रहे हैं।
– अब तक कई लाख श्रद्धालुओं की आमद मेला क्षेत्र में हो चुकी है। शुक्रवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने मां सरयू के पुण्य सलिल में डुबकी लगाने के साथ ही नागेश्वरनाथ मंदिर, हनुमानगढ़ी व कनक भवन के अलावा श्रीरामजन्मभूमि में विराजमान रामलला का दर्शन किए।

30 अक्टूबर को होगी पंचकोसी परिक्रमा
– मेलाधिकारी व एडीएम सिटी विंध्यवासिनी राय ने बताया कि अक्षय नवमी के पर्व पर 14 कोसी परिक्रमा होगी। वहीं देवोत्थानी एकादशी के पर्व पर 30 अक्तूबर को निर्धारित मुहूर्त दोपहर 2.57 बजे से पंचकोसी परिक्रमा की शुरुआत होगी।
– यह परिक्रमा भी 31 अक्तूबर को शाम तक चलती रहेगी। इस परिक्रमा में मेलार्थियों के साथ स्थानीय नागरिक भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं।
– उन्होंने बताया कि मेला का समापन चार नवम्बर को पूर्णिमा स्नान के साथ होगा। जिला प्रशासन ने मेलार्थियों की सुरक्षा व्यवस्था के साथ उनकी सुविधाओं को लेकर आवश्यक प्रबंध किया है।

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