लखनऊ: तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के छह महीने के लिए रोक लगाने संबंधी ऐतिहासिक फैसले पर लखनऊ में मुस्लिम धर्मगुरुओं ने अलग-अलग प्रतिक्रिया दी है। शिया धर्मगुरुओं ने जहां इस फैसले का स्वागत कर केंद्र सरकार से सख्त कानून बनाने की वकालत की है, वहीं सुन्नी धर्म गुरुओं ने इस फैसले का स्वागत करने के साथ ही केंद्र सरकार से शरियत के कानून में दखल न करने की अपील की है।
इमाम-ईदगाह ऐशबाग, रशीद फरंगी महली ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने तीन तलाक को लेकर जो फैसला दिया है उसकी मैं इज्जत करता हूं। कोर्ट का फैसला शरियत में दखल न देने वाला है। ऐसे में हम केंद्र सरकार को शरियत के कानून में दखल नहीं देने देंगे।
काजी-ए-शहर, मौलाना अबुल इरफान मियां फरंगी महली ने कहा कि तीन तलाक को लेकर केंद्र सरकार को दखल करने नहीं देेंगे। देश के संविधान ने हर धर्म के लोगों को अपने धर्म के अनुसार जीने का मौलिक अधिकार दिया है। ऐसे में कोई शरियत के इस कानून में दखल नहीं दे सकता।
प्रवक्ता, ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड मौलाना यासूब अब्बास ने कहा कि माननीय उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करता हूं। उम्मीद है कि केंद्र सरकार छह महीने के अंदर ऐसा सख्त कानून बनाएगी जिससे महिलाओं को तीन तलाक से हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाएगा।
इमाम-ए-जुमा, मौलाना कल्बे जवाद ने कहा कि शिया में तीन तलाक नही है, लेकिन सुन्नी में तीन तलाक है। तीन तलाक के मामले में हम पर्सनल लॉ बोर्ड के साथ हैं। कोर्ट का फैसला सही है, लेकिन केंद्र सरकार शरियत में दखल न दे तो बेहतर होगा।
ऑल इंडिया मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्ता अंबर कोर्ट ने कहा कि अपना फैसला दे दिया है अब मुस्लिम महिलाओं को केंद्र सरकार से पूरी उम्मीद है कि वह छह महीने के अंदर सख्त कानून बनाएगी और तीन तलाक को लेकर महिलाओं के शोषण पर हमेशा के लिए विराम लग जाएगा।