आइसलैंड की संसद ने एक विधेयक पेश किया है, जिसके तहत सार्वजनिक एवं निजी उद्यमों को यह प्रमाणित करना होगा कि वे अपने कर्मचारियों को समान वेतन दे रहे हैं। दुनिया में यह अपनी तरह का पहला विधेयक है।
सामाजिक मामले एवं समानता मंत्री थोर्स्टिन विगलुंडसन ने मंगलवार को यहां बताया, ‘विधेयक के तहत 25 या इससे अधिक कर्मचारी रखने वाली कपंनियों और संस्थानों को अब एक समान वेतन भुगतान का प्रमाणपत्र देना होगा।’ उल्लेखनीय है कि विश्व आर्थिक फोरम-2015 की वैश्विक लैंगिक अनुपात सूची में आइसलैंड पहले पायदान पर था, जबकि इसके बाद नॉर्वे, फिनलैंड और स्वीडन थे।
विगलुंडसन ने कहा कि 3,23,000 से अधिक की आबादी वाले राष्ट्र में इस नये कानून का लक्ष्य कंपनियों में पुरुषों और महिलाओं के वेतन में सात प्रतिशत के अंतर को पाटना है। उन्होंने बताया कि इस विधेयक को मध्य-दक्षिणपंथी गठबंधन वाली सरकार, विपक्ष का समर्थन प्राप्त है और संसद में करीब 50 प्रतिशत सांसद महिलाएं हैं। यह कानून जनवरी से प्रभावी हो जाएगा। उन्होंने बताया, ‘आइसलैंड के श्रम बाजार में लैंगिक आधार पर वेतन का अंतर एक दुर्भाग्यपूर्ण सत्य है और यह कड़े उपाय करने का समय है। हमारे पास इसे समाप्त करने की जानकारी और प्रक्रिया है।’