लखनऊ.बीती एक जुलाई को दुष्कर्म पीड़िता अंजलि (बदला हुआ नाम) पर चौथी बार तेजाब से हमला हुआ। पुलिस से लेकर प्रशासन तक हिल गया। जिसने सुना, वह स्तब्ध रह गया। सवाल उठने लगे कि आखिर वो कौन बेखौफ लोग हैं, जो करीब एक दशक से इस महिला के पीछे पड़े हैं। इस कहानी में एक नया मोड़ तब आ गया, जब पता चला कि पीड़िता पर तेजाब से हमला नहीं हुआ है, ये कोई केमिकल है और वह मामूली जली है। अब सवाल ये उठने लगा है कि आखिर इस मामले का सच क्या है? क्या ये वाकई महिला के खिलाफ अपराध है या महिला के आरोपों की कथा? इस मामले में ये अकेली उलझन नहीं है। इससे पहले भी इस कहानी में कई नाटकीय मोड़ आ चुके हैं।
तीन बातें जिनसे मामला बना संदिग्ध…
1. तीन बार आरोप झूठे कैसे निकले? पहले 2008 में रेप का आरोप, फिर 2012 में लगा गैंगरेप का आरोप और फिर मार्च 2017 में एसिड पिलाने का अंजलि का आरोप झूठा पाया गया
2. चार के करीब मामलों में अभी जांच चल रही है। एक जुलाई के हमले में एसिड न भी हो, तो केमिकल तो है ही। जलने के घाव और निशान भी हैं। आखिर कोई महिला क्यों खुद को प्रताड़ित करेगी?
3. ताजे हमले के बाद अंजलि ने कहा कि कोई मामला फर्जी नहीं है। पुलिस और अपराधियों की मिलीभगत है। पुलिस के ही कहने पर मुझे जबरदस्ती अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया है।
2008 से शुरू हुआ था मामला…
– अंजलि का मकान सड़क किनारे करीब एक हजार वर्ग फीट में बना हुआ है। नाली की बात क्या चली, गांव में दो परिवारों में लड़ाई झगड़ा शुरू हो गया। करीब चार फीट जमीन की ये लड़ाई इस कदर बढ़ी कि थाने में शिकायत की गई, पुलिस आई, पंच बैठे।
– जब विवाद बढ़ा तो ठाकुर पक्ष को जमीन छोड़नी पड़ी। लेकिन ये झगड़ा इतना बढ़ जाएगा, ये शायद ही किसी ने सोचा हो। पहले अंजलि ने ठाकुर परिवार के लोगों पर रेप का आरोप लगाया। इस घटना के करीब 4 साल बाद फिर अंजलि ने गैंगरेप का आरोप लगाया।
– अब तक इस मामले में 8 मुकदमे हो चुके हैं। अंजलि ने चार बार तो खुद पर तेजाब से हमला होने की शिकायत की है। उसने यहां तक आरोप लगाया कि उसके पेट में सलाई घोंप दी गई। प्राइवेट पार्ट में सलाख डाल दी गई।
– एक जुलाई को चौथी बार अंजलि ने आरोप लगाया कि उस पर तेजाब से हमला किया गया। केस और अंजलि से जुड़े ज्यादातर लोग इसमें कुछ साफ कह नहीं पा रहे हैं।
अंजलि की सास ने कहा- कुछ तो है, तभी वो भागी है…
घटना के करीब 9 साल बीत जाने के बाद भी अंजलि का घर बंद पड़ा है। उसके आस-पास उसके रिश्तेदार अपने-अपने मकानों में रहते हैं। अंजलि का गांव में पक्का मकान है। परिवार के बंटवारे में उसके पास करीब 5 बीघा जमीन भी हिस्से में आई है।
– अंजलि पर बार-बार हो रहे एसिड अटैक के बारे में पूछने पर उसकी सास ननकई कहती हैं, ”कुछ तो है तभी वो यहां से भागी हुई है, वरना अपना घर छोड़कर कौन जाता है? मेरा बेटा संतलाल भी बहुत कम ही आता है। पति-पत्नी परेशान रहते हैं।”
– मजदूरी करने वाले अंजलि के बड़े जेठ राजेंद्र कहते हैं, ”भाई से संपर्क नहीं रहता है। जब कोई घटना होती है या कोई काम होता है तो भाई फोन करता है।”
– राजेंद्र याद करते हुए बताते हैं, ”23 मार्च 2017 को जब एसिड वाली घटना हुई तो मुझे अखबार से पता चला। मैंने भाई को फोन किया और लखनऊ आने के लिए पूछा तो भाई ने मना कर दिया कि यहां बड़ा मामला बन गया है, जब शांत हो जाए तब आना। करीब सालभर पहले मेरी बेटी की शादी थी, लेकिन उसमें भी अंजलि और उसका पति शामिल नहीं हुए।”
आरोपी के घर भी पहुंची टीम
– अंजलि के घर के सामने बने आरोपी त्रिभुवन सिंह, भोंदू सिंह तो दरवाजे से 60 साल की राजवती बाहर निकलीं। उनसे पूछा गया कि घर में कोई है तो उन्होंने कहा कि बच्चों को तो पुलिस उठा ले गई। बाकी पति और बहू बेटों के पीछे लखनऊ गए हैं।
– राजवती ने रोते हुए कहा, ”8-10 सालों में मेरा पूरा परिवार बिखर गया है। जब देखो तब अंजलि कोई न कोई झूठा आरोप लगा देती है और पुलिस मेरे बच्चों को उठा ले जाती है।”
– ”भोंदू की तो अभी साल डेढ़ साल पहले ही शादी हुई है। कच्ची गृहस्थी है और बहू इन सब में उलझकर रह गई है। पिता त्रिभुवन सिंह की उम्र भी 62 साल के करीब है, ऐसे में वो भी भागते-दौड़ते रहते हैं।”
– राजवती के मुताबिक, ”नाली का विवाद हुआ था, लेकिन मामले में समझौता हो गया था। गांव में आप किसी से भी पूछ लो कि हमारे बच्चों का व्यवहार कैसा है?”
– वो कहती हैं, ”दो बच्चे भोंदू और ननकऊ यहां रहते हैं, जबकि सबसे बड़ा बेटा गुड्डू उर्फ प्रदीप अपने ससुराल में रहता है। उसका तो यहां से कोई मतलब भी नहीं होता है।”